अंचिता शेयूली ने भारोत्तोलन में राष्ट्रमंडल खेलों में 73 किलोग्राम वजन में स्वर्ण पदक हासिल कर देश को गौरवान्वित किया है। .
जब यह भारोतोलक स्वर्ण पदक लेकर घर लौटा तो उसकी मां पूर्णिमा सेवली ने एक छोटे से स्टूल पर ट्रॉफी और पदकों को सजा रखा था। .
पीटीआई से बात करते हुए पदक विजेता की मां ने कहा कि मैं जानती थी कि जब अचिंता आएगा तो पत्रकार और फोटोग्राफर हमारे घर आएंगे। .
इसलिए मैंने यह पदक और ट्रोफिया एक स्टूल पर सजा कर रखती ताकि पत्रकार समझ सके कि उसके बेटे में कितनी प्रतिभा है।
अंचिता शेयूली की मां ने पत्रकारों से बतलाया कि उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका बेटा देश के लिए स्वर्ण पदक लेकर आएगा।
अंचिता शेयूली की मां ने बताया कि 2013 में उसके पति के निधन के बाद दोनों बेटों का पालन पोषण करना उसके लिए बेहद मुश्किल हो गया था।
उसने कहा कि कई बार तो ऐसा होता था कि मैं अपने दोनों बच्चों को खाना भी मुहैया नहीं करवा पाती थी। .
इन सब कठिनाइयों के बाद भी दोनों भाइयों ने भारोत्तोलन की प्रैक्टिस जारी रखें और आज बड़े बेटे ने देश के लिए स्वर्ण पदक जीता है। .
अंचिता शेयूली की मां ने बतलाया की उसके पास बेटे के द्वारा जीते गए पद को पड़ोसियों को रखने की जगह भी नहीं है। .
बेटे के द्वारा जीते गए पदको और ट्रॉफीज को रखने के लिए उनके घर में अलमारी तक नहीं है। रातों को भूखे पेट सोना उनकी मजबूरी थी।