वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी तेजी से चक्कर लगाना जारी रखेगी तो यह नेगेटिव लिप सेकंड के रूप में सामने आ सकता है। .
जिसका असर परमाणु घड़ी, स्मार्टफोन कंप्यूटर तथा संचार तंत्र पर पड़ सकता है। .
पृथ्वी हजारों साल से सूर्य का चक्कर लगा रही है और पृथ्वी अपनी धुरी पर एक पूरा चक्कर पूरा करने में 24 घंटे का समय लेती है। .
पृथ्वी ने एक बार फिर अपना रिकॉर्ड तोड़ 29 जुलाई को 24 घंटे से 1.59 मिली सेकंड कम समय में अपना चक्कर पूरा किया। यह पृथ्वी का अब तक का सबसे छोटा दिन था।
अंतरिक्ष गतिविधियों पर नजर रखने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि साल 2020 में पृथ्वी ने अपना सबसे छोटा दिन देखा था। .
यह दिन 1960 के दशक के बाद पृथ्वी का सबसे छोटा दिन था। यह 19 जुलाई 2020 को घटित हुआ था। .
19 जुलाई 2020 को घटित यह दिन सामान्य 24 घंटे के दिन से 1.47 मिली सेकंड छोटा था। .
सन 2021 में पृथ्वी आमतौर पर है बढ़ी हुई दर से घूमती रही और कोई नया रिकॉर्ड नहीं बना। .
वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी अगर इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो आगे छोटे दिनों की शुरुआत हो सकती है। .
अगर ऐसा होता है तो यह नेगेटिव लिप सेकंड के रूप में सामने आ सकता है जो परमाणु घड़ी स्मार्टफोन कंप्यूटर का संचार तंत्र के लिए समस्या पैदा करेगा।