जिसमें याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखते हुए बताया है कि चुनाव के दौरान मुफ्त की रेवड़ी बांटने से अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है। .
क्या सच में नेताओं के द्वारा मुफ्त में चुनावी रेवड़ी बांटने से राज्यों पर कर्ज का भार बढ़ रहा है और अर्थव्यवस्था कमजोर होती जा रही है। .
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वकील अश्वनी उपाध्याय ने राजनीतिक पार्टियों की ओर से चुनावी मौसम में मुफ्त रेवढ़िया बांटने को लेकर एक जनहित याचिका दायर की है।
इस याचिका में चुनाव के समय मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त सुविधाएं देने के वादा करने वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह गंभीर मुद्दा है जिन लोगों को इनका लाभ मिल रहा वैसे कल्याणकारी योजनाएं बता रहे हैं।
जो लोग टैक्स भर रहे हैं वह कहते हैं कि उनके पैसों का प्रयोग विकास के लिए होना चाहिए ना कि मुफ्त सुविधाएं के लिए। .
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं और रेवड़ी कल्चर के बीच संतुलन स्थापित करना आवश्यक है। .
केवल आम आदमी पार्टी इस याचिका का विरोध कर रही है क्योंकि केजरीवाल के द्वारा ही सबसे अधिक मुक्त रेवढ़िया बांटी गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नीति आयोग, फाइनेंस कमीशन और आरबीआई का एक पैनल गठित करने को कहा था,. .
जो चुनाव के दौरान मुफ्त योजनाओं की घोषणा पर मंथन करेगा .